मंथन विचारांचे
सागर यादव
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Saturday, 27 October 2018
कळलंच नाही कधी
लेखणी वास्तवदर्शी जाहली
टाकात बुडवून लिहिण्याची
आम्हास धास्ती लागून राहिली
सागर
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