मंथन विचारांचे
सागर यादव
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Wednesday, 16 August 2017
तु अशीच रहा
मोगर्याच्या कळीसारखी
प्रेमाचा सुगंध घेऊन
बंद अत्तराच्या कुपीसारखी
सागर .......
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