मंथन विचारांचे
सागर यादव
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Monday, 22 April 2019
अफाट विस्तारलेले
तारामंडल
ज्याचा अंत कोणास ठाऊक नाही
मस्तिष्काच काहीसं असंच
विचारांची खोली त्यातल्या
कोणास ठाऊक नाही
सागर
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