मंथन विचारांचे
सागर यादव
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Monday, 19 November 2018
नातं तुझं अन माझं
भलतंच सुरेख होतं
रंगीबेरंगी धाग्यांनी विणलेलं
अतूट अन बेजोड होतं
सागर
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