मंथन विचारांचे
सागर यादव
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Saturday, 15 September 2018
बिशाद या नजरेची
भिडविण्याची त्या नजरेशी
कधी झाली च नाही
भाव या मनाचा
त्या मना पर्यंत
कधी पोहोचला च नाही
सागर
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