मंथन विचारांचे
सागर यादव
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Wednesday, 15 August 2018
नक्कीच काहीतरी बिनसलं
माझ्या त्या श्वासांच
पाहता तुझं नयनांनी
गणित ते फसलं या ठोकयांच
सागर
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