मंथन विचारांचे
सागर यादव
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Friday, 14 April 2017
स्वप्न पाहू नकोस
त्यातही मीच आहे
तुझ्या क्षण क्षण आयुष्यात
फक्त मी आणि मीच आहे
सागर.....
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